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वीडियो: तिरंगे में लिपटकर देवभूमि पहुंचा शहीद बेटा सूरज, बेटे को खोने का दुख सहन नहीं कर पाई मां

हल्द्वानी: अल्मोड़ा के जिगोनी तहसील के रहने वाले 8 कुमाऊं रेडीमेंट के शहीद जवान लांस नायक सूरज सिंह अंतिम बार तिरंगे में लिपटकर अपना गांव पहुंचे। उनकी अंतिम यात्रा में सैकड़ो लोग शामिल हुए और पूरा गांव जब तक पूरा चांद रहेगा सूरज तेरा नाम रहेगा की नारों से गूंज उठा। बेटे को तिरंगे में लिप्टा देख मां के पैरों तले जमीन खिसक गई। बता दे कि सूरज की मां , दादी और बहन को उनकी शहादत की सूचना नहीं दी गई थी।

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सूरज सिंह भाकुनी शनिवार शाम एक धमाके में जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में शहीद हो गए। सूरज सिंह की शहादत की खबर के सामने आने के बाद आसपास के क्षेत्र में मातम छा गया। सूरज नवंबर में एक माह की छुट्टी पर घर आए थे और एक हफ्ते पहले ही 25 नवंबर को डयूटी पर लौटे थे। वह सूरज पांच भाई बहनों में तीसरे नंबर के और अविवाहित थे।  भनोली तहसील के पालड़ी गांव  के रहने वाले सुरज ने  बचपन से ही सेना में जाने का मन बना लिया था। उनका जन्म सात जुलाई 1995 को हुआ था।

नारायण सिंह भाकुनी और सीता देवी के बेटे सूरज ने इंटरमीडिएट तक की परीक्षा गांव में करने के बाद बीए की पढ़ाई के लिए अल्मोड़ा आ गए थे। एसएसजे परिसर में बीए की पढ़ाई के दौरान ही वर्ष 2014 में उनका आर्मी में चयन हो गया। रानीखेत में ट्रेनिंग लेने के बाद सूरज की पहली ज्वॉइनिंग जम्मू के उड़ी सेक्टर में हुई। फिर बटालियन तीन साल लखनऊ में रही। इधर, एक साल पहले ही बटालियन जम्मू आ गई थी। सूरज इस साल एक-एक माह की छुट्टी लेकर दो बार घर आ चुके थे। इस बीच एक माह की छुट्टी काटकर वह 25 नवंबर को बटालियन लौटे थे।  सूरज सिंह भाकुनी का सोमवार सुबह पार्थिव शरीर अल्मोड़ा पहुंचा। यहां पर केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, सांसद प्रदीप टम्टा समेत कई लोगों ने शहीद जवान को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद शहीद के पार्थिव शरीर को उसके पैतृक गांव के लिए ले जाया गया।

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