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बंदर और सुअर से परेशान लोगों ने खटखटाया नैनीताल हाईकोर्ट का दरवाजा

नैनीताल: राज्य के पहाड़ इलाके बंदरो और जंगली सुअरों से परेशान है। पहाड़ों में ये दोनों ही जानवर फसल के दुश्मन बन गए है। इससे लेकर बागेश्वर जिले की तहसील गरुड़ निवासी जनार्दन लोहुमी, सतीश चंद्र जोशी, चंद्रशेखर बड़सीला ,अशोक लोहनी और भूपेंद्र जोशी नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। कोर्ट ने  पर्वतीय जिलों में बंदरों और जंगली सुअरों के आतंक के मामले में दायर जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए सरकार और वन विभाग को नियमानुसार कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ ने शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई की।याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यू फ़्रेंड कॉलोनी रेजिडेंट्स बनाम भारत संघ एवं अन्य में पारित 3 अगस्त 2007 के निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया कि उत्तराखंड में बंदरों, आवारा जानवरों व जंगली सुअरों के आतंक से लोगों को निजात दिलाने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाए। यह कमेटी इस समस्या के समाधान के लिए विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे।
याचिकाकर्ताओं के मानें तो  गरुड़ और बागेश्वर तहसील में बंदरों के कारण ग्रामीणों, किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। बंदरों, जंगली सुअरों व आवारा जानवरों से फसल  को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा पहाड़ी इलाकों में इन जानवरों से बच्चों, महिलाओं और बुजुर्ग व्यक्तियों को भी खतरा है। उन्होंने जिला प्रशासन बागेश्वर, वन विभाग के उच्चाधिकारियों, स्थानीय विधायक सहित समस्त जिम्मेदार अधिकारियों पर मामले को नजरअंदाज करने का भी आरोप लगाया।
याचिका में केंद्रीय पर्यावरण सचिव, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, मुख्य सचिव उत्तराखंड , प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (सामान्य), प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव), मुख्य वन संरक्षक कुमाऊ संभाग नैनीताल, वन संरक्षक उत्तरी कुमाऊं अल्मोड़ा, जिलाधिकारी बागेश्वर, उप जिलाधिकारी गरुड़, सचिव उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड देहरादून को पक्षकार बनाया गया है।
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