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हल्द्वानी के निजी स्कूलों को फीस और सैलरी का ब्यौरा वेबसाइट पर डालना होगा, निर्देश जारी

हल्द्वानी: प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों को शिक्षा विभाग की ओर से दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। जिसके बाद अब तमाम स्कूलों को बच्चों के द्वारा आने वाली फीस और अध्यापकों को दिया जाने वाले वेतन की सभी डिटेल्स सार्वजनिक करनी होंगी। यानी कि सभी स्कूल इससे जुड़ी जानकारी अपनी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेंगे। हालांकि इस फैसले का विरोध पीएसए हल्द्वानी द्वारा किया गया है। देखना होगा कि यहां से किस तरह यह आदेश आगे बढ़ता है।

इससे पहले स्कूलों के दो नवंबर को खुलने के बाद से ही तमाम अभिभावक चिंता में चल रहे थे। क्योंकि लॉकडाउन में ना पढ़ाई हुई ना कुछ और स्कूल पूरी फीस मांगने पर उतारू हो गए थे। जिसके बाद हाल ही में शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बयान जारी कर कहा था कि 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों को छोड़कर अन्य विद्यार्थियों को सिर्फ ट्यूशन फीस ही स्कूलों में जमा करानी होगी। बहरहाल अब शिक्षा विभाग ने एक अन्य आदेश में प्राइवेट स्कूलों पर और अधिक शिकंजा कसा है।

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खंड शिक्षा अधिकारी हरेंद्र मिश्रा ने विकासखंड के सीबीएसई, आइसीएसई, उत्तराखंड बोर्ड से मान्यता प्राप्त और अन्य प्राइवेट स्कूलों को पत्र जारी किया गया है। जिसमें फीस और वेतन के ब्यौरे से संबंधित अहम आदेश दिए गए हैं। आपको बता दें कि विद्यालयों द्वारा लिए जा रहे शुल्क, आरटीई (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) के तहत रजिस्टर्ड छात्रों की संख्या, आरटीई की प्रतिपूर्ती मांग, शिक्षकों की सूची, साथ ही कोरोना काल के दौरान उन्हें दिए जा रहे वेतन का सारा ब्यौरा स्कूलों को अपनी अपनी वेबसाइटों पर प्रकाशित करना होगा।

इससे पहले इस ब्यौरे पर प्रधानाचार्य या प्रबंधक द्वारा साइन किए गए होने चाहिए। साथ ही विभाग ने सख्त आदेश दिए कि जिन स्कूलों की वेबसाइट नहीं है, वे जल्द से जल्द वेबसाइट बना लें और नियमित तौर से सभी जानकारी वहां अपलोड कर दें। इसके अलावा ज़रूरी बात यह भी है कि अब तमाम प्राइवेट स्कूलों के द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय को भी इस सबके बारे में जानकारी देनी होगी। वहीं बीईओ ने कहा कि सूचना देने में लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं होगी।

इस बारे में पीएसएस हल्द्वानी की ओर से विरोध जताया गया है। अध्यक्ष कैलाश भगत का कहना है कि शिक्षा विभाग को पूरी जनकारी पहले ही दी जा चुकी है। ऐसे में बार बार एक ही जानकारी मांगना सही बात नहीं है। उन्होंने कहा गया जैसे तैसे तो कोरोना काल में टीचर्स को वेतन दिया गया है। अब उसे सार्वजनिक करना कथई मंजूर नहीं है।

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