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भगत सिंह कोश्यारी ने किराया देने से किया मना, सरकार करेगी भगत दा की संपत्ति जांच

नैनीतालः भारत में हर एक नेता के बकाये पैसे को लेकर हर वर्ष खबरे सामने आती है। उत्तराखंड में भी पूर्व मुख्यमंत्री के नाम तो लाखों नहीं करोड़ो का कर्जा है। हाई कोर्ट में पूर्व सीएम पर सरकारी बंगले के बकाए किराए को लेकर सुनवाई चल रही थी, जिसमें कई नामी नेताओं के ऊपर करोंड़ों का कर्जा देखा जा रही है। दरअसल देहरादून के सामाजिक कार्यकर्ता अवधेश कौशल की ओर से एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में दायर की गई थी। इस याचिका में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को गलत तरीके से बंगलों का आवंटन किया गया। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियमावली 1997 को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक बताया है। 2004 में जारी आवास आवंटन संबंधी शासनादेश भी पूर्व मुख्यमंत्रियों पर लागू नहीं होता है। याचिका में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को जो बंगले आवंटित हैं उनका किराया मौजूदा रेट पर वसूल किया जाए।सुनवाई में सबसे बड़ी खबर यह है कि हाई कोर्ट में नैनीताल के सासंद भगत सिंह कोश्यारी ने शपथपत्र देकर अपनी माली हालत अच्छी न होने का हवाला देते हुए बकाया किराया जमा करने में अपने को असमर्थ बताया, जिसके बाद हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री की संपत्ति की जांच करने के लिए सरकार को आदेश दिया। वहीं डिविजन बेंच के जस्टिस रमेश रंगनाथन और जस्टिस आरसी खुल्बे ने हाई कोर्ट में चल रही पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगलों के बकाया राशि मामले में अपने जजमेंट को रिजर्व कर लिया है।

अपने शपथपत्र में भगत दा ने कहा कि ‘मेरा जीवन एक खुली किताब की तरह है। मैं न्यायपालिका का पूरा सम्मान करता हूं। कोर्ट मेरी आर्थिक स्थिति और संपत्ति की जांच करा सकता है। मैं देहरादून के जिस घर में रहता हूं वह भी किराए का है। उस घर का मैं हर महीने 25 हजार रुपये किराया देता हूं।’

सुनवाई में पांच पूर्व मुख्यमंत्रीयों की देनदारी सामने आई है।

  • भगत सिंह कोश्यारी पर 47.57 लाख रुपये
  • नारायण दत्त तिवारी (बीते साल निधन हो चुका है) पर 1.13 करोड़ रुपये
  • रमेश पोखरियाल निशंक पर 40.95 लाख रुपये
  • भुवनचंद्र खंडूरी पर 46.59 लाख रुपये
  • पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पर 37.50 लाख रुपये

 

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