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निजी कॉलेजों ने नियम फॉलो नहीं करे तो भुगतने होंगे परिणाम, उत्तराखंड सरकार की सख्ती

हल्द्वानी: राज्य के कॉलेजों के संबंद्धता के मामले पर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। कॉलेज जो कि सुविधाएं तो उत्तराखंड सरकार से प्राप्त करते हैं मगर राज्य सरकार के कंट्रोल में नहीं हैं, ऐसे कॉलेजों पर जल्द ही गाज गिर सकती है। इसके अलावा नर्सिंग के प्रशिक्षित बेरोजगारों को भी राहत दी गई है। यह सभी फैसले इसी हफ्ते हुई कैबिनेट की बैठक में लिए गए।

दरअसल कोरोना को मात देने के बाद हफ्ते भर पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई थी। जिसमें सीएम की अध्यक्षता में कई बड़े फैसले लिए गए। जिसमें से एक फैसला प्रदेश के सहायताप्राप्त अशासकीय कॉलेजों के बारे में लिया गया। आपको बता दें कि अब ऐसे कॉलेज जिन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्धता समाप्त कर श्रीदेव सुमन राज्य विश्वविद्यालय से संबद्धता नहीं ली है, उनका अनुदान खत्म किया जाएगा।

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देखा जाए तो उत्तराखंड में कई अशासकीय डिग्री कॉलेज दोहरी व्यवस्था को लेकर चल रहे हैं। जैसे कि कॉलेजों की संबंद्धता तो केंद्रीय विश्वविद्यालय से है मगर अनुदान उन्हें उत्तराखंड सरकार देती है। ऐसे में कॉलेज अब भी केंद्रीय विवि की संबद्धता छोड़नो को तैयार नहीं है। बता दें कि गढ़वाल मंडल में ऐसे करीब 17 कालेज हैं जो केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। ये कालेज राज्य सरकार से अनुदान ले रहे हैं, लेकिन इन पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।

इसका मुख्य कारण है कॉलेजों का केंद्रीय विवि से जुड़ा होना। इसे लेकर काफी समय से सरकार और कॉलेजों में खींचतान हो रही है। मगर अब इस फैसले पर मुहर लग गई है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट मंत्रिमंडल को सौंप दी। शासकीय प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि अशासकीय डिग्री कालेजों के बारे में राज्य में अब दोहरी व्यवस्था नहीं चलेगी, इसका फैसला ले लिया गया है।

इसे मिलाकर मीटिंग में तकरीबन 17 प्रस्तावों पर मुहर लगी थी। जिसमें से एक यह भी था कि अब नर्सिंग स्टाफ की भर्ती में एक साल के अनुभव की बाध्यता खत्म कर दी गई है। इसके लिए संबंधित नियमावली में संशोधन को मंत्रिमंडल ने हरी झंडी दिखा दी। 

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