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उत्तराखंड का वो स्कूल जिसने देश को दिए चैंपियन खिलाड़ी, आज बंद होने की कगार पर खड़ा है

हल्द्वानी: प्रदेश का एक ऐसा कॉलेज जिसने नाजाने कितने ही चैंपियन उत्तराखंड और भारत को दिए। अब वो चाहे बॉक्सिंग का रिंग हो या फुटवॉल का मैदान। गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज का महत्व उत्तराखंड के लिहाज़ से बहुत अधिक है। हालांकि अब यही कॉलेज अपनी सांसों के लिए लड़ रहा है। दरअसल यह स्कूल सेना की ज़मीन पर लीज़ लेकर बनाया गया था। अब लीज़ अवधि खत्म हो गई है। जिसके बाद समस्याएं शुरू हो गई हैं। स्कूल प्रशासन ने कई प्रयास किए कि लीज अवधि न्यूनतम किराये में ही आगे को बढ़ाई जा सके मगर अफसोस कोई खास फायदा नहीं हो सका।

खेल जगत में योगदान को देखा जाए तो इस कॉलेज का कोई सानी नहीं है। आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर श्याम थापा और अमर बहादुर गुरूंग ने इसी स्कूल से पढ़ाई की है। इतना ही नहीं एशियन गेम्स में भारत को बॉक्सिंग में पहला गोल्ड दिलाने वाले पदम बहादुर मल्ल और भारतीय सेना में पहले अफसर पद पर भर्ती होने वाले सैनिक का गौरव हासिल करने वाले शहीद मेजर दुर्गा मल्ल ने भी इसी कॉलेज से पढ़ाई की है। कॉलेज के प्रधानाचार्य ने बताया कि वर्तमान के भी कई खिलाड़ी खेल मैदान में राज्य का नाम रौशन कर रहे हैं।

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अगर इतिहास की बात करें तो गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज की बुनियाद को अंग्रेजों के शासन के समय में 1925 में रखा गया था। उस समय यह स्कूल सेना की ज़मीन पर कैंट क्षेत्र में तैनात सेना के बच्चों के लिए बनाया गया था। जो कि 90 साल की लीज तैयार कर न्यूनतम दरों पर किराया तय किया गया था। सेना के अफसर ही हमेशा स्कूल के हाइकमान पदों पर भी रहे। आपको बता दें कि स्कूल का संचालन स्कूल की चयनित सोसायटी करती है। और तो और सरकार के मानकों के अनुसार हर तीन साल में सोसायटी के चुनाव भी होते हैं।

बहरहाल वर्तमान समय में स्कूल सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालय की श्रेणी में है। साथ ही स्कूल में कक्षा छह से कक्षा 12 तक कक्षाएं संचालित हो रही हैं। लेकिन 2015 में लीज खत्म होने से समस्याएं आनी शुरू हो गईं जैसे कि स्कूल को रक्षा संपदा अधिकारी, मेरठ की ओर से किराया बढ़ाने और स्कूल खाली करने तक के नोटिस आ चुके हैं। 

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विद्यालय के प्रधानाचार्य ज्योति प्रसाद जगूड़ी ने बताया कि स्कूल में सैनिकों, पूर्व सैनिकों, अल्पवेतन भोगी कर्मचारियों के बच्चों को ना के बराबर शिक्षण शुल्क पर शिक्षा दी जा रही है। कक्षा छह से नौ तक के विद्यार्थियों को फ्री शिक्षा के साथ पाठ्य पुस्तकें भी प्रदान की जा रही हैं। जानकारी के अनुसार पिछले साल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने भी यहां की सुध लेते हुए भारतीय सरकार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर कॉलेज की पैरवी की थी। उन्होंने कहा था कि कॉलेज के भवन और भूमि को न्यूनतम दरों पर पुन: लीज पर देने की अपील की थी। 

दरअसल दिक्कत की बात यह है कि विद्यालय को रक्षा विभाग द्वारा लीज पर दी गई भूमि अवधि नहीं बढ़ सकी है। विद्यालय भवन और भूमि को खाली करने के लिए विद्यालय प्रबंधन को नोटिस दे दिया गया है। विद्यालय प्रबंधन के पास आय के संसाधनों की कमी है जिस वजह से बढ़ी हुई दरों पर लीज की धनराशि का भुगतान करने में प्रबंध समिति असमर्थ है।

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