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जिस उम्र में बच्चे पढ़ाई से दूर भागते है उस उम्र में पहाड़ का नीरज बन गया वैज्ञानिक

नई दिल्ली: उत्तराखंड प्रतिभा का धनी रहा है। यह हम नहीं यहां के युवाओं की कामयाबी ने बार-बार साबित किया है। इस बार फिर पहाड़ के बेटे की कामयाबी ने राज्य का नाम रोशन किया है। जिस उम्र में अधिकतर बच्चे पढ़ाई से दूर भागते है उस उम्र में ये बालक वैज्ञानिक बन गया है।
चंपावत राजकीय इंटर कॉलेज में 8वीं में पढ़ने वाले वाले बाल वैज्ञानिक नीरज कुमार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गांधीनगर में हुए फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन एंड इंटरप्रेनरशिप में सम्मानित किए गए। पिछले हफ्ते आयोजित कार्यक्रम में उन्हें इस सम्मान से नवाजा गया। चंपावत के नीरज कुमार ने ऑटोमैटिक वाटर टैंक बनाया था। लकड़ी का यह बॉक्स पानी के आम टैंक से अलग है। इसके भीतरी हिस्से में वाटर टैंक है। बाहर की तरफ नल लगा हुआ है। साथ ही एक प्रेशर-पैड बना हुआ है।
नीरज के प्रोजेक्ट ने राष्ट्रपति कोविंद  को भी अपनी ओर खींचा और उन्होंने इसकी तारीफ भी की। प्रेशर-पैड पर पांवों की सहायता से दाब डालने से तुरंत ही नल से पानी निकलने लगता है। दबाव के हटते ही पानी का निकलना भी बंद हो जाता है। दिव्यांग पांव के दबाव से इस टैंक का उपयोग कर सकते हैं।
साथ ही इससे पानी की बर्बादी भी रुकेगी। बता दें कि इस कार्यक्रम में देशभर के 60 बाल वैज्ञानिकों को प्रोजेक्टों के लिए सम्मान मिला। इस मौके पर बाल वैज्ञानिक नीरज कुमार के साथ मार्गदर्शक शिक्षक भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता मनोज कुमार जोशी भी थे।

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यह पहला मौका नहीं है जब उत्तराखण्ड के युवा ने विज्ञान के क्षेत्र में राज्य का नाम रोशन किया हो। नीरज जैसे विद्यार्थी देश के गौराव है। पिछले महीने हल्द्वानी की मिताक्षी को भी विज्ञान के क्षेत्र में शानदार काम करने के लिए इन्पायर अवॉर्ड से नवाजा गया था।

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