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डेरी विकास उद्देश्य से बदलेंगे उत्तराखण्ड के किसान और पशुपालकों के दिन

देहरादून: राज्य सरकार डेरी विकास उद्देश्य को लेकर काफी गंभीर है। किसान के उत्पाद को बाजार तक ले जाना और उचित मूल्य दिलाने पर सरकार काम कर रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि डेरी विकास का उद्देश्य किसान व पशुपालकों की बेहतरी है। पशुचारा व पशुओं की उचित देखरेख में आवश्यक मदद करना भी हमारा उद्देश्य होना चाहिए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दुग्ध व्यवसायियों को 21 दिन में भुगतान सुनिश्चत करने, क्षमता विकास, पर्यवेक्षण पर भी ध्यान देने के साथ ही अधिकारियों से किसानों के मध्य जाकर उनकी समस्याओं से अवगत होने तथा उनकी बेहतरी के लिये कार्य करने को कहा।

मुख्यमंत्री ने दूधातोली व पवाली कांठा क्षेत्र से दुग्ध एकत्र करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने पर भी बल दिया। इस क्षेत्र की दुग्ध उत्पादकता सिमली व नगर के डेरी फार्म को लाभ पहुंचाने का कार्य करेगा। बैठक में बताया गया कि प्रदेश के लिये राष्ट्रीय कृषि विकास निगम से रू 44462.46 लाख की योजना स्वीकृत कराई गयी है। जिसमें मुख्यतः 5266 सदस्यों को 20000 दुधारू पशु क्रय तथा 52000 दुग्ध उत्पादक सदस्यों को तकनीकी निवेश सुविधायें उपलब्ध कराई जायेगी। विभाग द्वारा आंगनबाडी केन्द्रों के बच्चों को सुगन्धित मीठा दूध उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से ‘‘मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना’’ स्वीकृत की गयी है, जिसके अन्तर्गत आंगनबाड़ी केन्द्रों में आ रहे 03 से 06 वर्ष के कुल 1.66 लाख बालक एवं बालिकाओं को सप्ताह में 02 दिन 100 मि.ली। दूध उपलब्ध करवाया जा रहा है।

इसके इतिरिक्त दुग्ध अत्पादक सदस्यों को पौष्टिक चारा एवं पशुपोषण के लिए मिनिरल मिक्चर तथा प्रोबाइटिक्स उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ‘‘साईलेज एवं दुधारू पशु पोषण योजना’’ स्वीकृत की गयी है। आंचल दुग्धशालाओं के सृदृढ़ीकरण एवं आधुनिकीकरण तथा कार्मिकों के कौशल उच्चीकरण हेतु अमूल गुजरात के साथ एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में 1.57 लाख दुग्ध उत्पादकों हेतु वर्ष पर्यन्त दूध विक्रय करने के लिए 2619 दुग्ध सहकारी समितियां कार्यरत है।

प्रदेश में 11 दुग्धशालाऐं गठित है। जिनकी दैनिक प्रसंस्करण क्षमता 2.65 लाख लीटर है। जिनके माध्यम से शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन लगभग 1.68 लाख लीटर गुणवत्ता युक्त तरल दूध तथा अन्य दुग्ध पदार्थों की आपूर्ति की जा रही है। प्रदेश में सहकारी समिति अधिनियम अन्तर्गत कुल 2885 दुग्ध समितियों का निबन्धन किया गया है।बैठक में उच्च शिक्षा एवं दुग्ध विकास राज्यमंत्री डाॅ. धन सिंह रावत, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, प्रमुख सचिव आनन्द वर्धन, सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी के साथ ही दुग्ध विकास से जुड़े अधिकारी उपस्थित थे।

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