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देहरादून रेलवे स्टेशन के बोर्ड से गायब हुई संस्कृत,उर्दू में लिखा गया नाम,हुआ विरोध

देहरादूनः उत्तराखंड की दूसरी राजकीय भाषा संस्कृत है, इसीलिए राज्य के सभी रेलवे स्टेशनों के नाम संस्कृत में लिखे जाने हैं। देहरादून रेलवे स्टेशन जिसका नाम संस्कृत में लिखा जाना तय हुआ था। लेकिन बाद में इसे बदलकर फिर से उर्दू में लिख दिया गया। जिस पर अब बवाल हो रहा है। अखिल भारतीय देवभूमि ब्राह्मण जन सेवा समिति और संस्कृत महाविद्यालय शिक्षक संघ समिति ने देहरादून स्टेशन का नाम संस्कृत की जगह दोबारा उर्दू में लिखने के विरोध किया। समिति के लोगों का कहना है कि ये संस्कृत भाषा का अपमान है। जिसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लोगों ने स्टेशन निदेशक गणेश चंद ठाकुर का घेराव भी किया।

बता दें कि प्रदर्शनकारियों ने कहा कि देहरादून रेलवे स्टेशन के पुनर्निर्माण कार्यों के बाद भारत की प्राचीन और उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा संस्कृत में रेलवे स्टेशन का नाम देहरादूनम् लिखा गया था। अब संस्कृत भाषा में लिखा नाम हटाकर इसे दोबारा से उर्दू भाषा में लिख दिया गया है। वहीं स्टेशन निदेशक का कहना है कि इस संबंध में प्रस्ताव उच्चाधिकारियो को भेजा गया है। निर्देश मिलते ही साइन बोर्ड पर संस्कृत में नाम लिख दिया जाएगा।

साल 2010 में निशंक सरकार ने संस्कृत को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा दिया था। इसीलिए अब रेलवे स्टेशनों के नाम संस्कृत में भी लिखे जाएंगे। पहले कहा जा रहा था कि रेलवे स्टेशन के नाम में उर्दू की जगह संस्कृत लेगी, लेकिन ताजा जानकारी के अनुसार रेलवे स्टेशन के नाम उर्दू के साथ-साथ संस्कृत में लिखे जाएंगे। इस तरह उत्तराखंड में रेलवे स्टेशनों के नाम चार भाषाओं में लिखे होंगे।

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