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बालिका निकेतन में किशोरी की मौत, मां की इस वजह से की थी हत्या

देहरादून: बालिका निकेतन के शौचालय में 16 की किशोरी का शव मिलने से सनसनी मच गई है। इस घटना के बाद परिसर सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं। वैसे भी पिछले कुछ सालों में यहां की ढेर सारी कमियां सामने आई है। च्चियों के उत्पीड़न से लेकर बालिकाओं के भागने तक पिछले पांच सालों ऐसे तमाम घटनाएं घटित हुई हैं, जिस कारण से बालिका निकेतन हमेशा सवालों के घेरे में रहा। नारी निकेतन, बालिका निकेतन और शिशु निकेतन में अक्सर अव्यवस्थाएं उजागर होती रहती हैं।
पिछले साल की बात करें तो  बालिका निकेतन में गंदगी के चलते बालिकाओं को संक्रमण होने का मामला उजागर हुआ था। अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने शिशु निकेतन व बालिका निकेतन का निरीक्षण किया तो वो गंदगी देख दंग रह गई थी।  इसके अलावा पिछले साल यहां से 5 लड़कियां भी फरार हो गई थी। जांच में सामने आया था निकेतन में लड़कियों का शोषण होता है। उनके साथ अभद्र व्यवहार किए जाने की बात भी सामने आई थी। इस बात की पुष्टि बाल आयोग की सदस्य शारदा त्रिपाठी ने निरीक्षण के बाद की थी। लापरवाही का आलम ये है कि पिछले साल दो बार बालिकाएं नारी निकेतन की दीवारें लांघ कर फरार हो गईं थीं।
जिस किशोरी की मौत हुई है उसपर अपनी मां का कत्ल करने का आरोप था। बुधवार को वह बाथरूम में बेहोशी की हालत में मिली। अस्पताल ले जाने पर चिकित्सकों से उसे मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत की असली वजह सामने आ पाएगी। उसे तीन मई को हरिद्वार से यहां स्थानांतरित किया गया था।  आरोप है कि किशोरी ने 19 सितंबर की रात पाठल से अपनी मां सावित्री देवी की गर्दन, सिर और हाथ पर अनगिनत वार कर हत्या कर दी। खून से सने कपड़े बदलकर वह उसी रात घर से बाहर निकल गई थी। पाठल को झाड़ियों में फेंकने के बाद वह बस से पंजाब भाग गई थी। कनखल पुलिस ने 25 सितंबर को उसे गिरफ्तार कर हत्याकांड का खुलासा कर दिया था। किशोरी का दावा था कि जिस्म फरोशी के धंधे में धकेलने के कारण उसने मां की हत्या की थी।

गुरुवार को महिला सशक्तिकरण एंव बाल कल्याण मंत्री रेखा आर्य बालिका निकेतन पहुंची और घटना का संज्ञान लिया। उन्होंने इस घटना पर किसी के हाथ होने की बात कही। मामले की जांच के लिए उन्होंने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। उन्होंने समिति से तीन दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इसके अलावा मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने बालिका निकेतन का निरीक्षण करते हुए दोषियों के खिलाफ  कार्रवाई के आदेश दिए थे।

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