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शहर में दौड़ती नजर आएंगी इलेक्ट्रिक कारें, विभाग के बचेंगे लाखों रुपए

देहरादून: प्रदूषण आज की सबसे बड़ी परेशानी है। आने वाली पीढ़ी को हम कैसा वातावरण देना चाहते हैं इन सभी बिंदुओं पर हमें सोचना होगा। सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है सड़क पर चलने वाले वाहनों के धुए से। वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है और इसके साथ ही प्रदूषण ने भी खतरनाक नतीजे बीमारियों के रूप में दे रहा है। इस दिशा में कई कंपनियां और स्टार्टअप काम कर रहे हैं। इसके लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के चलन पर जोरों से काम किया जा रहा है। उत्तराखण्ड की बात करें तो देहरादून में इसकी शुरुआत हो रही है।

राजधानी में अब लोगों को सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहन दौड़ते नजर आएंगे। राज्य के ऊर्जा विभाग ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए ईईसीएल से पांच गाड़ियां किराये पर ली हैं, जल्द ये गाड़ियां सड़कों पर दिखेंगी। बता दें कि यूपीसीएल उत्तराखंड में पहली बार ग्रीन प्लेट वाली गाड़ियों को सड़कों पर उतारेगा। विभाग की ग्रीन प्लेट वाली 5 टाटा टिगोर इलेक्ट्रिक कारें यूपीसीएल के कामों से शहरभर में दौड़ेंगी। इसके एक अच्छी पहल के रूप में भी देख सकते हैं।

राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों को प्रदूषण से दूर रखना है तो इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल किया जाना जरूरी है। आपकों जानकारी दें दे की ईवी क्रांति में शामिल होने के लिए उत्तराखंड ने दो बार असफल प्रयास किए। पहली कोशिश अप्रैल 2018 में हुई, तब सचिवालय में ट्रायल पर इलेक्ट्रिक कारें लाई गईं थीं, लेकिन चार्जिंग स्टेशन ना बन पाने की वजह से ये कारें सचिवालय में ही खड़ी रहीं, बाद इन्हें वापस भेज दिया गया।

इसके बाद देहरादून-मसूरी के साथ-साथ हल्द्वानी-नैनीताल के बीच ई-बस संचालन का ट्रायल हुआ, पर इन पर खर्चा ज्यादा आने की वजह से सेवा शुरू नहीं हुई है। शहरों में बजाज ई-स्कूटर हो, रिवोल्ट ई-बाइक हो या फिर टाटा महिंद्रा की इलेक्ट्रिक कारें जरूर दिखती हैं लेकिन ये उत्तराखण्ड के बड़े शहरों से अभी भी दूर है।

ऐसे में यूपीसीएल का ये कदम बड़ी राह खोल सकता है। कारों की चार्जिंग के लिए यूपीसीएल ने अपनी पार्किंग में ही व्यवस्था की हुई है, जहां एसी, डीसी चार्जर भी लगाया गया है, ताकि चार्जिंग ना होने की वजह से कारें रुकें नहीं। प्रदेश में पहला मौका होगा जब पांच इलेक्ट्रिक गाड़ियां नियमित रूप से सड़कों पर दौड़ेंगी। पूरा चार्ज होने पर ये गाड़ियां 100 किलोमीटर तक दौड़ेंगी। इनकी चार्जिंग पर खर्च प्रति किलोमीटर औसतन 85 पैसे आएगा। ड्राइवरों को इलेक्ट्रिक कार चलाने की ट्रेनिंग पहले ही दी जा चुकी है। इन कारों के संचालन से विभाग को कम से कम 6.75 लाख रुपये की सालाना बचत होगी।

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