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बिजली उपभोक्ताओं को लग सकता है झटका, इतने प्रतिशत बढ़ सकते है दाम

देहरादून: उत्तराखंड के विद्युत उपभोक्ताओं को आने वाले दिनों में बिजली की दरों की बढ़ोत्तरी का झटका लग सकता है। उत्तराखंड पावर कारपोरेशन ने उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग का दरवाजा खटखटाएगा। आयोग ने उसकी अपील को मान लिया तो प्रदेश में बिजली 2.56 प्रतिशत महंगी हो सकती है। निदेशक मंडल ने यूपीसीएल को अपील करने की अनुमति दे दी है।

सचिव ऊर्जा राधिका झा की मौजूदगी में वसंत विहार स्थित उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन मुख्यालय में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में ऊर्जा के तीनों निगमों से जुड़े कई अहम मुद्दों पर मंथन हुआ। इसमें सबसे अहम मुद्दा विद्युत टैरिफ की बढ़ोत्तरी का रहा, जिस पर यूपीसीएल के एमडी बीसीके मिश्रा की ओर से कहा गया कि ऊर्जा निगम लगातार घाटे में चल रहा है। आयोग को वित्तीय वर्ष 2019-20 का लेखा जोखा प्रस्तुत करते हुए 2020-21 के लिए विद्युत टैरिफ को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन आयोग ने रेट कम करते हुए प्रति यूनिट चार फीसदी तक बिजली दरों में कमी कर दी थी।

इससे चालू वित्तीय वर्ष में निगम का घाटा और बढ़ सकता है। इसका हवाला देते हुए यूपीसीएल ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के समक्ष ढाई प्रतिशत बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। बोर्ड ने यूपीसीएल के प्रस्ताव पर मंथन करते हुए निगम को विद्युत दरों में बढ़ोत्तरी के लिए उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) में अपील दायर करने की मंजूरी दे दी। ऐसे में यूपीसीएल वित्तीय अभिलेखों के साथ जल्द ही आयोग में अपील दायर कर देगा।

वहीं, कुंभ मेले में विद्युत आपूर्ति सुचारू रखने के लिए हरिद्वार के ललितारौ और जगजीतपुर में दो सब स्टेशन स्थापित करने की मंजूरी मिल गई है। इसका लाभ क्षेत्र के उन हजारों उपभोक्ताओं को मिलेगा, जो अभी लो-वोल्टेज आदि की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके अलावा पिटकुल और यूजेवीएनएल की ओर से रखे गए प्रस्तावों पर विमर्श किया गया। स्थानीय स्तर पर हो सकेगी खरीद ऊर्जा के तीनों निगम प्रतिवर्ष करोड़ों के उपकरण खरीदते हैं।

यह खरीद अधिकांश देश-विदेश की बड़ी कंपनियों से की जाती है, लेकिन बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने क्रय वरीयता नीति-2019 को ऊर्जा निगमों में लागू करने की मंजूरी दे दी है। इसके तहत निगम अब सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यमों से 25 प्रतिशत तक की खरीद कर सकेंगे। सूत्रों की मानें तो इसका उद्देश्य विदेशी खासकर चीन की कंपनियों से उपकरणों की खरीद को बंद करना भी है। इस नीति का फायदा देश में बिजली के बड़े व छोटे उपकरण बनाने वाले उद्योगों को मिलेगा।

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