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गंगा की नहर को देव धारा घोषित किया जाएगा, सरकार लेने वाली वाली है बड़ा फैसला

हरिद्वार: उत्तराखंड सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक हर की पैड़ी से होकर बहने वाली गंगा की नहर को प्रदेश सरकार ने गंगा की देव धारा घोषित कर दिया है। इसके लिए साक्ष्य भी जुटाए गए हैं। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट तक जाने को तैयार है और जरूरत पड़ी तो अध्यादेश तक लाया जा सकता है।  

वर्ष 2016 में हरीश रावत की कांग्रेस सरकार ने हर की पैड़ी से होकर बहने वाली धारा को नहर(स्केप चैनल) घोषित किया था। उस के बाद से ही अखाड़ा परिषद सहित अन्य संत इसका विरोध कर रहे थे। यह मामला पिछले चार साल तक दबा रहा। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत इस आदेश को लेकर संतो के बीच पहुंच कर माफी मांगी तो यह मामला फिर उठ खड़ा हुआ। शुक्रवार को संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में विधानसभा में हुई बैठक में तय किया गया कि 2016 का शासनादेश पलटा जाएगा। सचिव सिंचाई, आवास, सचिव विधायी आदि से बैठक करने के बाद मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि यह भी सामने आया है कि 1916 में मदन मोहन मालवीय और गंगा सभा हरिद्वार के बीच हुए समझौते में भी हर की पैड़ी से होकर बहने वाली धारा को गंगा ही कहा गया है। 

कौशिक ने कहा कि कानूनी समस्या का समाधान करने के लिए अगर जरूरत पड़ेगी तो संबंधित कानूनों में संशोधन किया जाएगा या फिर अध्यादेश लाया जाएगा। सरकार हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए भी तैयार है। इस मामले का एक पेचीदा मामला हर की पैड़ी से होकर बह रही गंगा के किनारे होटल, आश्रम आदि के निर्माण का भी है। एनजीटी का साफ आदेश था कि गंगा के किनारों के 200 मीटर के दायरे में निर्माण को हटाया जाए। हरीश रावत की सरकार ने इस निर्माण को बचाने के लिए ही गंगा की धारा को नहर घोषित किया था। इसी के लिए हरीश रावत ने अब संतों के बीच पहुंचकर माफी मांगी और कहा कि सरकार चाहे तो उनका यह फैसला पलट दे। 

हर की पैड़ी से होकर बहने वाली नदी गंगा की धारा थी, अब भी है और आगे भी रहेगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का साफ कहना है कि इसे गंगा की धारा घोषित किया जाए। आज इसका फैसला कर लिया गया है। हरीश रावत के गंगा को नहर घोषित करने वाले मसले पर हमेशा विरोधियों के निशाने पर रहे है।

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