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पर्यटकों के लिए खुशखबरी, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बोटिंग का लुफ्त उठाएंगे आप

रामनगर : कॉर्बेट नेशनल टाइगर पार्क पर्यटकों को अब बिना सफारी के भी वन्यजीवों की उपस्थिति का अहसास होगा। इसके लिए कॉर्बेट पार्क के पाखरो क्षेत्र में दो करोड़ रुपये की लागत से थीम पार्क विकसित करने की योजना को मंजूरी दे दी गई है। इसके साथ ही रामगंगा नदी की तर्ज पर पाखरो में एक झील तैयार की जाएगी, जिसमें पर्यटक आने वाले समय में बोटिंग का लुत्फ भी उठा सकेंगे। सीटीआर के अधिकारी इस योजना पर काम में जुट गए हैं। 

कोटद्वार में कॉर्बेट फाउंडेशन की बैठक में तय किया गया कि थीम पार्क को इस तरह से विकसित किया जाएगा कि वह वन्यजीवों की उपस्थिति का एहसास पर्यटकों को आवाज और दृश्य चित्रों के जरिये कराए। वन मंत्री हरक सिंह ने कहा कि यह थीम पार्क अपने आप में अनोखा होगा और पर्यटकों को अलग अनुभव देगा। मतलब ये कि कॉर्बेट आने वाले पर्यटक अब वन्यजीवों की दुनिया का एक नया एहसास लेकर जरूर जाएंगे। दूसरी ओर, बैठक में पाखरों के वन विश्राम गृह का जीर्णोद्धार करने और ढिकाला की तर्ज पर ग्रासलैंड विकसित करने का भी फैसला हुआ।

बैठक में वन मंत्री हरक सिंह रावत की ओर से पाखरो पर्यटन जोन को विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि जिस तरह कालागढ़ से ढिकाला तक रामगंगा नदी को झील का रूप दिया, उसी तर्ज पर पाखरो में भी झील बनाने की योजना है। पाखरो में छोटी-बड़ी नदियों के पानी को एकत्र कर झील तैयार की जा रही है। इस झील में आगामी समय में पर्यटक बोटिंग भी करेंगे। पाखरो को आकर्षक पर्यटक स्थल बनाने की कवायद चल रही है ताकि कॉर्बेट में पाखरो जोन भी पर्यटकों को लुभा सकें।

आपको बता दे की पाखरो पर्यटन जोन में सोना नदी स्रोत, जसोद, पाखरो, धौलखंड, चपड़ा, सुआ नदी-नालों के पानी को एकत्र किया जा रहा है। पाखरो को पर्यटक स्थल बनाने के पीछे स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की मंशा भी है। 

21 जून को कोटद्वार में कॉर्बेट फाउंडेशन की बैठक हुई। इसमें वन मंत्री की ओर से पाखरो पर्यटन जोन को विकसित करने के लिए कहा गया है। पाखरो पर्यटन जोन में झील बनाने की योजना है, जिसमें पर्यटन बोटिंग कर सकेंगे। इस जोन के विकसित होने से वहां के स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।दरअसल यह सब कोशिश पाखरो गेट को अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए भी है। कॉर्बेट के लिए कोटद्वार के पाखरो गेट से भी जाया जा सकता है लेकिन अधिकतर पर्यटक रामनगर में ढिकाला जोन को अधिक पसंद करते हैैं। पाखरो का आकर्षण भी अगर ढिकाला की तरह होगा, तो रामनगर पर भी दबाव कम हो जाएगा।

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