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नेपाल सीमा से उत्तराखण्ड पहुंचा टिड्डी दल, अफसरों और किसानों ने संभाला मोर्चा

उत्तर भारत में कई प्रदेशों में फसलों को तबाह करने के बाद टिड्डी दल अब उत्तराखण्ड पहुंच गया है। शुक्रवार को टिड्डी दाल उत्तराखण्ड के टनकपुर, रुद्रपुर और सितारगंज में देखा गया। देर शाम तक टिड्डी दल यही मंडराता हुआ दिख रहा था। मझोला प्रथम गांव में पहुंचे टिड्डी दल ने धान की फसल पर हमला कर दिया। किसानों ने शोर कर टिड्डी दल से फसल का बचाव किया। हालांकि, टनकपुर में फसलों पर हमले की कोई सूचना नहीं है।

टनकपुर एसडीएम दयानंद सरस्वती और तहसीलदार खुशबू पांडेय ने बताया कि कृषि विभाग को अलर्ट कर टिड्डियों से बचाव के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। चंपावत के मुख्य कृषि अधिकारी राजेंद्र उप्रेती ने टनकपुर पहुंच खेतों का मुआयना किया और किसानों को टिड्डी दाल के खतरे से आगाह भी किया। उन्होंने बताया की पीलीभीत में आतंक मचाने के बाद टिड्डी दाल टनकपुर पंहुचा है। उन्होंने कुछ जगह स्प्रे भी करवाया।

बताया जा रहा है कि टिड्डियों का यह दल फिलहाल सीमा पर लगे मनुवा पट्टी गांव की ओर चला गया है। वहीं, रुद्रपुर में उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे कुछ गावों में टिड्डी दल देखा गया। किसानों ने इसकी सूचना कृषि विभाग को दी जिसके बाद कुछ जगह कीटनाशकों का छिड़काव कराया गया है। रुद्रपुर में मलसी गांव के निकट सैजना व सैजनी के पास शाम के समय अचानक किसानों से धान की फसल व गन्ने के ऊपर टिड्डी दलों को मंडराते हुए देखा। कुछ देर बाद किच्छा में रतनपुरा, दरऊ गांव के साथ ही सितारगंज स्थित मटिया गांव में किसानों ने टिड्डी दल को देखा। टिड्डी दल की दस्तक से किसान काफी परेशान नज़र आ रहे है। किसानों ने कहा कि यदि जिले में टिड्डी पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो गेहूं और गन्ने की फसल बर्बाद हो जाएगी।

आपकों बता दे टिड्डी दाल उत्तराखण्ड से पहले उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली में काफी तबाही मचाई है और किसानों की लाखों की फसलें बर्बाद कर दी है। सामान्य रूप से एकांत में रहने वाली टिड्डियां अनुकूल वातावरणीय दशाओं व भोजन की प्रचुरता पर समूह में रहने लगती हैं। समूह में होने पर ये टिड्डी दल बहुभक्षी हो जाता है। साथ ही तमाम वनस्पतियों को खा जाता है। एक मादा टिड्डी अंडों को अंड समूह में बलुई भूमि की सतह से 15 सेंटीमीटर नीचे देती है। फसल लगने से पूर्व मेढ़ों की कटाई-छटाई द्वारा टिड्डियों के अंडों को धूप व परभक्षियों के लिए खोलना एवं स्थानीय क्षेत्रों में जुताई द्वारा टिड्डियों के अंडों को नष्ट किया जा सकता है। टिड्डियां दो-तीन अंड समूहों में 100 अंडे प्रति समूह देती है। मृदा भृंग, फफोला भृंग गिडार, चीटियों और झिगुरां द्वारा अंडों का भक्षण किया जाता है।

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