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कूड़े के ढेर से निकला उत्तराखण्ड का ये ‘मेडल ब्वाय’,संघर्ष की कहानी जानकर आंखों से आ जाएंगे आंसू

देहरादून: कामयाबी का शोर काफी तेज होता है। कामयाब हुए व्यक्ति की हर जगह तारीफ होती है। उसकी मिसाल दी जाती है और वो उदाहरण बन जाता है। लेकिन एक ऐसी भी चीज होती है जो कामयाबी से सबसे पहले से जुड़ी होती है और व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। इसे धरती पर संघर्ष का नाम दिया गया है। संघर्ष सफलता की सबसे बड़ी कूंजी है।  उत्तराखण्ड के एक युवक ने संघर्ष की गजब मिसाल पेश की है। कभी कूड़ा इकठ्ठा कर घर चलाने वाले युवक को अब पूरा राज्य ‘मेडल ब्वाय’ के नाम से जानता है। इस बच्चे का नाम है अजय।

उत्तराखण्ड के अजय ने खेल विभाग की ओर से आयोजित प्रतियोगिता (दौड़) में एक गोल्ड और सिल्वर मेडल जीता है। अजय ने ब्लॉक स्तर पर भी गोल्ड और जिलास्तर पर सिल्वर मेडल जीत कर मिसाल पेश की है। लेकिन जिला स्तर पर अजय के गोल्ड ना आने के कारण वह राज्य स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने से थोड़ा दूर रह गया। खेल में अव्वल रहने वाला ये बालक देश की सेवा करना चाहता है और फौज में भर्ती होने का सपना देखता है।

अपने सपने संस्था ने अजय के हुनुर को पहचाना और उसके सपनों को अपना समझा। संस्थापक अरुण कुमार यादव कहते है कि चार साल पहले अजय रोड पर कूड़ा बीनता हुआ मिला था। उसके भविष्य को सवारने के लिए अजय को संस्था में पनाह दी। उसे भारूवाला ग्रांट स्थित प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया। अजय ने किसी को निराश नहीं किया और कक्षा चार में प्रथम स्थान हासिल किया। पढ़ाई के साथ-साथ वो खेल में भी कमाल करना चाहता था। दौड़ प्रतियोगिता में दो मेडल जीतकर मिसाल पेश की है।

अजय का सपना अब सेना में जाकर देश की सेवा करना है।  सेना में जाने के लिए वह जीतोड़ पूरी मेहनत करेगा। अपने सपने संस्था के अध्यक्ष अरुण कुमार यादव ने बताया कि एनजीओ में बच्चों को हर हफ्ते दो दिन अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया जाता है। एनजीओ में विश्वविद्यालय से अध्यापक पढ़ाने आते हैं।

 

न्यूज सोर्स- अमर उजाला डॉट कॉम

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