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उत्तराखंड में पिरूल बनेगा EARNING का सोर्स, ये प्लान जंगलों की रक्षा भी करेगा

उत्तराखंड राज्य ने अपने युवाओं के लिए स्वरोजगार प्लान बनाना शुरू कर दिया है। इस महत्वपूर्ण प्लान को धरातल में लाने के लिए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंसिग द्वारा जिलाधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और सौलर व पिरूल परियोजनाओं की समीक्षा की। सीएम ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का लाभ जरूरतमंदों और बेरोजगार को जरूर मिले ये हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। सभी विभागों में चल रही स्वरोजगार योजनाओं को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के साथ जोड़ा जाए ताकि सोलर व पिरूल प्रोजेक्ट की आवश्यक प्रक्रियाएं समय पर पूरे हो सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में पिरूल प्रोजेक्ट में पिरूल एकत्रीकरण पर स्वयं सहायता समूहों को एक रुपया प्रति किलो वन विभाग और 1.5 रूपया (एक रूपया पचास पैसे) प्रति किलो विकासकर्ता द्वारा दिया जाता है। अब राज्य सरकार भी अतिरिक्त 1 रुपए प्रति किलो अर्थात 100 रुपए प्रति क्विंटल की राशि देगी।

सीएम ने कहा कि होप पोर्टल पर स्वरोजगार की सभी योजनाओं की सूचना अपलोड की जाए। एक प्लेटफार्म पर आने से लोगों को इन योजनाओं की जानकारी मिल पाएगी और इसका लाभ उठा सकेंगे। इस मिशन में जन प्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाए।

पिरूल एकत्रीकरण ना सिर्फ रोजगार के मार्ग खोलेगा बल्कि उत्तराखंड के वनों को भी सुरक्षित रखेंगे। पहाड़ों के जंगलों में आग लगने की घटनाएं भी पिरूल के एकत्र होने से भी होती है। लोग मारचिस का प्रयोग करते हैं और उसे जलता फेंक देते हैं। यह आग का कारण भी बनती है जो राज्य को काफी नुकसान पहुंचाती है।उत्तराखंड सरकार ने पिरूल से बिजली बनाने की इस योजना की सभी तैयारी पूरी कर ली है। 

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