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शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट को सम्मान, बेटे का मेडल देख पिता हुए भावुक

देहरादून: बेटे की शादी की तैयारी चल रही थी लेकिन किसे पता था कि वह अपनी नई जिंदगी शुरू करने से पहले पूरी जिंदगी देश के नाम कर देगा। साल 2019 में 16 फरवरी  को देहरादून के रहने वाले मेजर चित्रेश बिष्ट सरहद पर शहीद हुए थे। मरणोपरांत ‘सेना मेडल’ प्रदान किया गया है। स्वतंत्रता दिवस पर घोषित वीरता पदकों की सूची में वीर जांबाज का नाम था।

पिछले वर्ष 16 फरवरी को राजौरी के नौसेरा सेक्टर में हुए आईईडी ब्लास्ट में वह शहीद हो गए थे। आतंकियों ने एलओसी पार कर इप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस लगाया हुआ था। सूचना मिलने पर सैन्य टुकड़ी ने इलाके में सर्च आपरेशन चलाया। मेजर चित्रेश इंजीनियरिंग कोर में तैनात थे और उन्हें आईईडी को डिफ्यूज करने में महारत हासिल थी। लेकिन इसी बीच आईईडी ब्लास्ट होने से वे शहीद हो गए। मूलरूप से अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील के पिपली गांव के रहने वाले मेजर चित्रेश बिष्ट का परिवार देहरादून के ओल्ड नेहरू कालोनी में रहता है।

उनके पिता सुरेंद्र सिंह बिष्ट उत्तराखंड पुलिस से इंस्पेक्टर पद से रिटायर हैं। सरहद पर शहादत के दौरान मेजर चित्रेश की उम्र 28 साल थी। भारतीय सैन्य अकादमी से प्रशिक्षण पूरा कर वे वर्ष 2010 में पासआउट हुए थे।

मेजर चित्रेश की शहादत की खबर उस समय आई जब घर पर उनकी शादी की तैयारियां चल रहीं थी।  मेजर चित्रेश की शादी सात मार्च 2019 को होनी थी। शादी के कार्ड भी बंट चुकेथे। लेकिन इससे पहले दून का यह लाल देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गया।  बुधवार को सेना दिवस पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में थलसेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने शहीद चित्रेश बिष्ट के पिता सुरेन्द्र सिंह बिष्ट यह मेडल सौंपा। बेटे की वीरता का मेडल लेते हुए पिता की आंखें नम हो गईं।

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