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छोटी उम्र में मीडिया जगत का बड़ा चेहरा बन गई उत्तराखण्ड की श्वेता कोठारी

हल्द्वानी: मीडिया ऐसा क्षेत्र जिसे आम जनता चकाचौंध की नजर से देखती हैं। बड़े-बड़े मुद्दों पर बात करना और देश के विख्यात लोगों का इंटरव्यू लेना लोगों को लगता है कि मीडियाकर्मी की लाइफ सेट है लेकिन असल में ऐसा बिल्कुल नहीं हैं। जिस तरह एक पुलिसकर्मी 24*7 काम पर होता है उसी तरह एक मीडियाकर्मी भी अपना काम करता है। इंटरव्यू और डिबेट से पहले उसे ना जाने कितना अध्यन करना पड़ता है और इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल। मीडियाकर्मी जो लिखता है उसी को जनता सच मानती है।

उत्तराखण्ड का मीडिया जगत से नाता दिन प्रतिदिन मजबूत होते जा रहा है। पहाड़ के कई युवा इस क्षेत्र में काफी नाम कमा रहे हैं। बड़े-बड़े संस्थानों में काम कर रहे हैं। इसी बीच एक ऐसा नाम भी है कम उम्र में देश के विख्यात मीडियाकर्मियों में अपना नाम दर्ज कराया है। वह डिजिटल का सबसे बड़ा चेहरा उभरते हुए सामने आ रही हैं। हम बात कर रहे हैं देहरादून की रहने वाली श्वेता कोठारी की जो लॉजिकल इंडियन (thelogicalindian.com ) में मैनेजिंग एडिटर हैं। श्वेता अपने मीडिया ग्रुप का सबसे बड़ा चेहरा हैं। श्वेता बेबाकी से अपनी राय रखती है जिसे कई लोग सरकार विरोधी भी बोलते हैं लेकिन उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। अपने करियर के बारे में श्वेता कहती हैं कि मुझे खुशी हैं कि मैं भीड़ का हिस्सा नहीं हूं और कुछ अलग कर रही हूं।

देहरादून से है नाता

श्वेता का नाम देहरादून में हुआ। पिता इंदर मोहन कोठारी एक वन अधिकारी हैं और मां सरिता कोठारी एक उपचारक हैं। वह कहती है कि पहाड़ों में जीवन शानदार रहा है। दस साल पहले उन्होंने उत्तराखण्ड छोड़ा था लेकिन आज में बचपन की यादे ताजा हैं। अपनी कामयाबी के पीछे श्वेता अपने माता-पिता को श्रेय देती हैं। उनका कहना है कि बचपन से मैं महिला सशक्तिकरण में विश्वास रखती हूं। यह इसलिए क्योंकि मेरे परिवार ने मुझे पढ़ाई, काम और जीवन चुनने के लिए स्वतंत्रता दी है। मुझे अपने माता-पिता द्वारा एक सशक्त महिला के रूप में उभारा गया है और तभी में यहां तक पहुंच पाई हूं।

करियर- दिल्ली से बेंगलुरू

श्वेता कहती है कि बचपन से उन्हे पत्रकार ही बनना था। मुझे लिखना पसंद था। मैनें इसे पहचाना और फिर इसी में करियर बनाने का फैसला किया। मैं अपने आप को भाग्यशाली मानती हूं, कई लोगों को जीवन में बहुत बाद में अपनी क्षमता का एहसास होता है और यह ठीक है। आप जो करना पसंद करते हैं उसके लिए उम्र कभी भी एक बाधा नहीं है। करियर की शुरुआत में एक संवाददाता के रूप में CNBC-TV18 से की। दिल्ली में करीब 5 साल काम करने के बाद श्वेता ने बेंगलुरू का रुख किया। श्वेता कहती है कि वह समय आगे बढ़ने और पत्रकारिता में नए स्वरूपों का अनुभव करने का था। लॉजिकल इंडियन में एक अवसर सही समय पर आया। कहने की जरूरत नहीं है, यह एक शानदार कदम था और मैंने तब से हर दिन बिताया है, सकारात्मक और उत्साह से भरे एक समाचार कक्ष में, जो दिल्ली मीडिया में गायब रहता है। टीवी से लेकर डिजिटल तक मेरे सामने कई चुनौतियां आई लेकिन मैनें उन्हें अच्छी तरह से हैंडल किया।

उत्तराखण्ड से प्यार और वापस ना लौट पाने का दर्द

श्वेता कहती है कि उनके नाम से साथ जब उत्तराखण्ड जुड़ता है वो भावना बताने लायक नहीं हैं। हम में से कई राज्य और समुदाय को गौरवान्वित कर रहे हैं। हालांकि मुझे जो दर्द होता है, फिलहाल मैं दून इस तरह के करियर की कल्पना नहीं कर सकती हूं। मुझ जैसे कई युवा हैं जो काम के लिए राज्य से दूर गए लेकिन श्वेता कहती हैं कि वह दिन जल्द आएगा जब वह उत्तराखण्ड वापस आएंगी और वो करेंगी जो उन्हें पसंद है, यानी पत्रकारिता….

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