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मुफ्त बिजली ने रोक दी UPCL के कर्मचारियों एक महीने की सैलेरी !

हल्द्वानी: बिजली विभाग के तीनों निगमों के अधिकारियों और कर्मचारियों को सस्ती बिजली देने का मामला कोर्च पहुंच गया है। देहरादून के आरटीआई क्लब ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार ऊर्जा निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों से एक माह का बिल मात्र 400 से 500 रुपये ले रही है। वहीं, अन्य कर्मचारियों से बिल के रूप में सिर्फ 100 रुपये लिए जाते हैं लेकिन असली में बिजली लाखों की खर्च होती है।

बिजली की दर यूपीसीएल द्वारा बढ़ाई जा रही है जिसका भार आम जनता पर पड़ रहा है। याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घर बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं और जो लगे भी हैं, वे खराब स्थिति में हैं। इसके अलावा कॉरपोरेशन ने वर्तमान कर्मचारियों के अलावा, रिटायर और उनके आश्रितों को भी बिजली मुफ्त मिलती है। कहने को तो उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश घोषित है लेकिन यहां हिमाचल से महंगी बिजली है, जबकि वहां बिजली का उत्पादन तक नहीं होता। याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि घरों में लगे मीटरों का किराया पॉवर कॉरपोरेशन सालों से लेकर अपनी जेब भर रहा है जबकि उसकी कीमत पहले ही वसूल हो चुकी है।

इस मामले की सुनवाई नैनीताल हाईकोर्ट में सोमवार को हुई। उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन (यूपीसीएल) के एमडी भी हाईकोर्ट में पेश हुए।एमडी ने हाईकोर्ट में शपथपत्र दायर किया। उन्होंने कहा कि एक महीने के भीतर सभी अनिमियताओं को सुधार दिया जाएगा। जहां मीटर नहीं लगे हैं वहां मीटर लगाए जाएंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि एक माह के भीतर अनियमितताओं की जांच कर ली जाएगी। यह भी कहा कि जांच पूरी होने तक कर्मचारियों का एक माह का वेतन रोक दिया जाएगा।

मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार , जबकि इनका बिल लाखों में आता है। याचिका में कहा गया कि इसका बोझ सीधे जनता पर पड़ रहा है।

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