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रामबाड़ा के इतिहास को अमर करने के लिए डीएम मंगेश घिल्डियाल का स्मार्ट प्लान

देहरादून: रामबाड़ा ये स्थान जो एक वक्त में केदार यात्रा का मुख्य द्वार था। साल 2013 में आई आपदा ने इसका वजूत ही खत्म कर दिया। यह केवल यादों में बसकर रह गया है। अब जिला प्रशासन ने रामबाड़ा को नई पहचान देने के लिए प्लान तैयार किया है। यहां पर चीन की तर्ज पर कांच के पुल का निर्माण किया जाएगा। यह पुल केदारनाथ धाम के सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव रहे रामबाड़ा में बनकर तैयार होगा। आपदा के बाद से वीरान पड़ी इस जगह को इस नई योजना से देश दुनिया में पहचान मिलेगी।

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यह पुल मंदाकिनी नदी पर बनाया जाएगा। इसके निर्माण के लिए जिला प्रशासन जुट गया है और प्लान को फ्लोर पर लाया जा रहा है। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने चीन में निर्मित पारदर्शी पुलों की तर्ज पर यहां मंदाकिनी नदी पर कांच या धातु का पारदर्शी पुल बनाने का खाका तैयार किया है। लगभग 100 मीटर स्पान वाले इस पुल के फर्श पर रामबाड़ा के आपदा से पूर्व के रूप को अंकित किया जाएगा। पुल के दोनों तरफ प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पेंटिंग भी स्थापित की जाएंगी।

इससे विदेशों से आने वाले सैलानी रामबाड़ा के इतिहास के बारे में जान सकेंगे। इस पुल के निर्माण के लिए आठ करोड़ की लागत लगेगी और जिसकी धनराशि सीएसआर से जुटाई जाएगी। इस बारे में रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल बताया कि रामबाड़ा को नई पहचान दिलाने के उद्देश्य से यहां पारदर्शी पुल निर्माण की योजना है। क्षेत्र का प्रारंभिक सर्वेक्षण भी कराया जाएगा। गढ़वाल आयुक्त को भी इस योजना से अवगत कराया गया है। उन्होंने अपने स्तर से हरसंभव सहयोग की बात कही है।

रामबाड़ा का इतिहास

बता दें कि गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग के मध्य में स्थित रामबाड़ा यात्रा का मुख्य पड़ाव था। यहां पर बाबा के दर्शनों को जाने वाले और दर्शन कर लौटने वाले श्रद्धालुओं का मेल-मिलाप होता था। यहां ढाबा, दुकानें व छानियां थी, जहां यात्री भोजन करने के साथ रात्रि प्रवास भी करते थे, लेकिन 16/17 जून 2013 की आपदा में मंदाकिनी के रौद्र रूप ने रामबाड़ा को लील लिया। यहां मौजूदा वक्त में चारों तरफ बोल्डर और भू-कटाव से छलनी जमीन के निशान ही नजर आ रहे हैं।

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