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जम्मू-कश्मीर मुठभेड़ में उत्तराखण्ड के मानवेंद्र सिंह रावत शहीद

हल्द्वानी: उत्तराखण्ड को देवभूमि में कहा जाता है जहां देवों का वास होता है। देवभूमि का इतिहास वीर लोगों से जुड़ा रहा है। भारतीय सेना में उत्तराखण्ड के युवाओं की भागेदारी किसी से छिपी नहीं है। उत्तराखण्ड के परिवार से औसतन एक व्यक्ति भारतीय सेना में सेवा देता रहा है। एक बार फिर देवभूमि के एक बेटे ने अपनी मातृभूमि के लिए अपनी कुर्बानी दे दी। बुधवार को जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में उत्तराखंड रूद्रप्रयाग जनपद के कबिल्ठा गांव के रहने वाले मानवेंद्र सिंह रावत के शहीद हो गए। जानकारी के मुताबिक जम्मू कश्मीर में बांदीपुरा बार्डर पर बुधवार को अचानक आतंकवादियों ने हमला कर दिया। भारतीय सेना ने जबाब में मोर्चा संभाल लिया। रुद्रप्रयाग जिले के मानवेंद्र और उनके साथियों ने मिलकर दो आतंकियों को ढेर कर दिया था।

बताया जा रहा है कि मानवेंद्र गोली लगने से घायल हो गए थे और उन्होंने इसी दौरान अपने घर में फोन कर मां से बात की।उनकी शहदात की खबर के सामने आने के बाद उनके गांव में मातम छा गया है।शहीद सैनिक मानवेंद्र सिंह रावत की एक बच्ची और एक बच्चा है। उनका पूरा परिवार देहरादून में रहता है। मानवेंद्र सिंह रावत का पार्थिव शरीर कल गांव पहुचेगा, जिसके बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहीद सैनिक को अंतिम विदाई दी जाएगी।मानवेंद्र 12 वर्ष पूर्व वह सेना में भर्ती हुए थे। शहीद के पिता नरेंद्र ङ्क्षसह रावत कालीदास स्मारक समिति के अध्यक्ष हैं जबकि माता कमला देवी गृहणी हैं। घटना के बाद पूरा परिवार सदमे में हैं तथा गांव में मातम छा गया है। पार्थिव शरीर को जम्मू से रुद्रप्रयाग जिले में उसके मूल गांव कविल्ठा लाया जा रहा है। गांव के प्रधान विनोद रावत ने बताया कि  शहीद मानवेंद्र पर गांव को नाज है।

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