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जन्मदिन मुबारक ऋषभ पंत, क्रिकेटर बनने के लिए गुरुद्वारे में रहे और फिर…

हल्द्वानी: पिछले कुछ वक्त में क्रिकेट और उत्तराखण्ड का कनेक्शन काफी मजबूत हुआ है। राज्य के युवाओं ने बड़े स्तर पर कमाल किया है। इस लिस्ट में सबसे पहला नाम ऋषभ पंत का आता है। अपने परिश्रम से रुड़की के इस लड़के ने सभी कठिनाइयों को पार किया और अपना स्थान भारतीय टीम में पक्का किया। टीम में जगह मिलने के बाद पहाड़ के बेटे ने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में शतक जमाकर महेंद्र सिंह धोनी को भी पीछे छोड़ दिया।

ऋषभ पंत आज 22 साल के हो गए हैं। 4 अक्‍टूबर 1997 को पैदा हुए इस खिलाड़ी ने काफी कम उम्र में बड़ा नाम कमाया है। टीम में जगह मिलने के बाद पंत हर वक्त सुर्खियों में रहते हैं। उत्तराखण्ड में क्रिकेट मान्यता नहीं होने के चलते पंत का राज्य से बाहर जाना पड़ा। रुड़की से पंत दिल्ली पहुंचे। वहां वो किसी को नहीं जानते थे। घर तक नहीं था तो वह मोतीबाग के गुरुद्वारे में रहने लगे। पंत वहीं ठहरते, वहीं से लंगर खाकर प्रैक्टिस के लिए निकल पड़ते। मां गुरुद्वारे में सेवा करतीं और पंत क्रिकेट में रम गए. यह सिलसिला कई महीनों तक चला। धीरे-धीरे पंत अपनी मेहनत के बल पर नए मुकाम हासिल करते गए और फिर किराये पर कमरा ले लिया। दिल्ली में पंत ने  तारक सिन्‍हा से क्रिकेट के गुण सीखें। तारक सिन्हा दिल्ली में विख्यात हैं। वह शिखर धवन, आकाश चोपड़ा, आशीष नेहरा, अतुल वासन, अजय शर्मा और अंजुम चोपड़ा को भी क्रिकेट कोचिंग दे चुके हैं।

तारक सिन्हा ने पंत को लेकर रोचक किस्सा शेयर किया है। उनके क्‍लब द्वारा एक टैलेंट हंट का आयोजित किया गया था। पंत भी इसमें हिस्सा लेने पहुंचे थे। तब वह महज 12 साल के थे। पंत ने अंडर-12 टूर्नामेंट में तीन शतक लगाए और मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे। अपनी प्रतिभा के दम पर सोनेट में अपनी जगह बनाई और फिर लगातार बेहतरीन प्रदर्शन करते गए।  सिन्‍हा ने पंत को राज्‍य राजस्‍थान से खेलने की सलाह दी। राजस्‍थान में ही उन्‍होंने अंडर-14 और अंडर-16 स्‍तर के टूर्नामेंट खेले।लेकिन बाहरी होने का ठप्‍पा लगाकर उन्‍हें एकेडमी ने बाहर कर दिया। इसके बाद वह दोबारा दिल्ली पहुंचे। घरेलू सीजन में शानदार प्रदर्शन के बल पर उन्हें अंडर-19 टीम इंडिया में जगह मिल गई।  भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम में राहुल द्रविड़ के मार्गदर्शन में पंत की बल्लेबाजी में और निखार पाया। बांग्‍लादेश में खेले गए 2016 अंडर 19 वर्ल्‍ड कप में पंत ने तूफानी बल्‍लेबाज से विश्व जगत को अपना परिचय दिया। इस टूर्नामेंट में सबसे तेज अर्धशतक लगाने का कारनामा किया।उन्‍होंने नेपाल के खिलाफ केवल 18 गेंद में अर्धशतक जड़ दिया था। इसके बाद उन्‍होंने मुड़कर नहीं देखा।टीम इंडिया भले ही वर्ल्‍ड कप न जीत पाई हो लेकिन पंत का नाम चर्चित हो चुका था ।

साल 2016-17 रणजी सीजन में उन्होंने कमाल कर दिया। 8 मैच खेलते हुए 81 के औसत से 972 रन बनाए। इसी सीजन में महाराष्‍ट्र के खिलाफ उन्‍होंने तिहरा शतक जड़ा और ऐसा करने वाले वे तीसरे सबसे युवा खिलाड़ी बने।साथ ही झारखंड के खिलाफ मुकाबले में उन्‍होंने केवल 48 गेंद शतक जड़ा। ऐसा करने वाले वह पहले खिलाड़ी बनें। फिर पंत को टीम इंडिया टी-20 टीम में जगह मिली। पहली बार में वो ज्यादा नहीं कर सके। लेकिन साल 2017 में खेली गई सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में उन्होंने 32 गेदों में शतक जड़ दिया। इसके बाद उन्हें आईपीएल में दिल्ली की टीम में जगह मिली। इसी दौरान पंत के पिता राजेंद्र पंत का भी निधन हो गया। पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद पंत मैदान पर उतरे। पहले बेंगलूरू के खिलाफ 57 रन बनाए और उसके बाद गुजरात लाइंस के खिलाफ 97 रनों की पारी खेली। इस सीजन के बाद से वो दिल्ली के अहम सदस्य बन गए। आईपीएल में वह दो शतक 17 फिफ्टी भी जमा चुके हैं।

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