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दोहरा शतक जमाने के बाद उत्तराखण्ड के बेटे करनवीर ने बयां की अपने संघर्ष की कहानी

हल्द्वानी: घर का छोटा बेटा परिवार का सबसे ज्यादा दुलारा होता है। उसके लिए अभिभावक माता-पिता ही नहीं बड़े भाई-बहन भी होते है। सोचिए जब वो छोटा बेटा और भाई,दोस्त ऐसा काम कर डाले जो इतिहास में किसी ने नहीं किया तो कैसा लगेगा?  देहरादून के करनवीर कौशल की कहानी भी ऐसी ही है। उनकी एक पारी ने पूरे क्रिकेट जगत में सनसनी फैला दी है। उत्तराखण्ड के बेटे ने अपने पहले ही टूर्नामेंट में भारतीय क्रिकेट के 16 साल का इतिहास बदल दिया।

जी हां, करनवीर कौशल ने विजय हजारे ट्रॉफी में सिक्किम के खिलाफ दोहरा शतक बनाकर इतिहास रच दिया है।  विजय हजारे इतिहास में दोहरा शतक जमाने वाले वो पहले खिलाड़ी बन गए हैं।। उनसे पहले ये रिकॉर्ड भारतीय टेस्ट टीम के उपकप्तान अजिक्य रहाणे के नाम था। उन्होंने साल 2007-08 में मुंबई की ओर से खेलते हुए महाराष्ट्र के खिलाफ 187 रन की पारी खेली थी। कौशल ने अपनी 202 रनों की पारी में 19 चौके और 8 छक्के लगाए। आज पूरा देश करनवीर कौशल को जानना चाहता है..

ऐतिसाहिक पारी के बाद करनवीर कौशल ने हल्द्वानी लाइव डॉट कॉम से फोन पर खास बात की…

देहरादून के रहने वाले करनवीर के पिता निर्मल मिश्रा और माता राधा रावत उत्तराखण्ड पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं। करनवीर चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। करनवीर पिछले 12 सालों से क्रिकेट खेल रहे हैं। करियर में उन्होंने काफी उतार-चढ़ाव का सामना किया लेकिन उनका सपना अपने देश के लिए क्रिकेट खेलना था और उन्होंने इसे कभी मरने नहीं दिया।

हल्द्वानी लाइव के साथ हुई बातचीत में करनवीर ने बताया कि उन्हें कभी नहीं लगा था कि वो कुछ ऐसा करने वाले हैं।

क्रिकेट और करनवीर कौशल

उन्होंने कहा कि मेरा फोक्स हमेशा से अपने गेम को निखारना रहा है और उसी की बदौलत में दोहरा शतक जमा पाया हूं। मैं इस कामयाबी खुलकर महसूस करना चाहता हूं क्योंकि मेरे लिए पिछले 8-10 साल काफी कठिन रहे हैं। मैं लगातार उत्तर प्रदेश के लिए ट्रॉयल दे रहा था लेकिन चयन ना होने पर काफी हताश रहता था। माता-पिता ने मुझे अपने क्रिकेट पर फोक्स करने की पूरी छूट दी थी और शायद तभी मैं आज यहां इस मुकाम पर खड़ा हूं। बता दें कि करनवीर देहरादून स्थित अभिमन्यु क्रिकेट एकेडमी में कोच रवि नेगी और मनोज रावत की निगरानी में ट्रेनिंग कर रहे थे।

टेंशन में मेंटर अकरम सैफी भैया रहे मददगार

उन्होंने अपने मेंटर अकरम सैफी का जिक्र करते हुए कहा कि, भैया ने हमेशा मुझे और मेरे गेम को समझा। क्रिकेट को लेकर कभी भी परेशान रहता था तो वो मेरे साथ हमेशा खड़े रहते थे। काफी चीजे होती है जो आप घर पर शेयर नहीं कर सकते हो। भैया ने हमेशा मेरा ध्यान बाहरी बातों के बजाए क्रिकेट पर केंद्रित रखने में मदद की।

उन्होंने हर वक्त मुझे अपने आप से कंपीट करने की सलाह दी और शायद तभी मेरी कोशिश रहती है कि मैं मैदान पर गलतियों को रिपिट ना करूं। पिछले एक दशक में मैने कोई बड़ा टूर्नामेंट नहीं खेला था और भैया ही थे जिन्होंने अपनी बातें तो मेरे अंदर के क्रिकेट को मरने नहीं दिया। मेरे लिए वो हमेशा अभिभावक की तरह खड़े रहे।

दोहरे शतक के बारे में कभी नहीं सोचा था

करनवीर ने बताया कि मैं केवल रन बनाने पर ध्यान देता आया हूं। मेरा मानना है कि जब तब खिलाड़ी अपना स्वाभाविक गेम नहीं खेलेगा वो इंजॉय नहीं कर पाएगा। आज भी मैं इसी सोच के साथ मैदान पर उतरा था। पिछले मैचों में कुछ शॉर्ट  खेलते वक्त में आउट हुआ था और इस मैच में मैने अपने आप को वो शॉर्ट खेलने से रोका।

क्रिकेट में एडजेस्ट करना पड़ता हैं। उन्होंने कहा कि बल्लेबाजी के दौरान विनीत भैया ( विनीत सक्सेना) ने काफी मदद की। उनके साथ बल्लेबाजी करने में विकेट समझना आसान रहता है और उनका अनुभव मेरी काफी मदद करता है। शतक पूरा करने के बाद विनीत भैया मेरे पास बार-बार आए उन्होंने हर बार मुझे बड़ा स्कोर व पूरे 50 ओवर खेलने की सलाह दी। जब में 180 के पास पहुंचा तो लगा कि दोहरा शतक बना सकता हूं।

विजय हजारे में दोहरा शतक बनाने वाले पहले खिलाड़ी

दोहरा शतक बनाने के बाद मुझे बिल्कुल नहीं पता था कि कुछ ऐसा हुआ है। आउट होने के बाद जब पवेलियन लौटा तो साथियों ने इस बारे में बताया कि मैनें अजिक्य रहाणे का 187 रनों का रिकॉर्ड तोड़ा है। ये काफी अच्छा अनुभव रहा क्योंकि जिन्हें आप टीवी पर खेलता देखते हो उनके साथ नाम जुड़ता है तो हर खिलाड़ी को अच्छा लगता है।

बिहार के खिलाफ हार से कैसे उभरी टीम

पहला मैच हर किसी भी टीम के लिए चुनौतीपूर्ण रहता है। देहरादून और गुजरात की कंडिशन अलग है और पहले मैच में कुछ ऐसा ही हुआ। हार से हम लोग काफी निराश थे। कोच भास्कर पिल्लई और कप्तान रजत भाटिया ने टीम को साफ किया कि हमें केवल मैदान पर अपना गेम इंजॉय करना है। इस सोच ने टीम को मोटिवेट किया और मैच दर मैच हमारे गेम में सुधार हुआ।  पोंडिचैरी जैसी मजबूत टीम को हराने के बाद पूरी टीम का विश्ववास लौट आया। पूरी टीम परिवार की तरह एक दूसरे को समझती है और तभी हर मैच में कोई ना कोई टीम के लिए मैच विजेता बनकर सामने आ रहा है।

नॉक आउट में बिहार की हार की दुआ….

देखिए ये हमारा काम नहीं है। हमारा काम है मैदान पर जाकर प्रदर्शन करना। हमारी पूरी टीम दूसरों पर ध्यान देने से ज्यादा अपने गेम पर ध्यान देने की कोशिश करती है। जो चीजे आपके हाथ में नहीं है उनके बारे में सोच एनर्जी वेस्ट करना उचित नहीं है। हर गेम नया होता और आगे बढ़ने के लिए उसे जीता जरूरी है। हम नहीं चाहते है कि बाहर की चीजें हमारे मूमेंटम को खराब करे। बता दें कि अंक तालिका में उत्तराखण्ड दूसरे स्थान पर है और उसके खाते में 24 अंक हैं। वहीं बिहार 26 अंकों के साथ टॉप पर है। बिहार की हार और उत्तराखण्ड की जीत उसे नॉक आउट का टिकट दे सकती है।

कौन है करनवीर का फेवरेट खिलाड़ी

करनवीर कौशल एबी डीविलियर्स को अपना आर्दश मानते हैं। उन्होंने बताया कि एबी के गेम से उन्हें क्लिर मानसिकता मिलती है। तेज खेलने वाला खिलाड़ी हर अपनी टीम के लिए मैच विनर रहता है और एबी ने सालों तक अपनी टीम के लिए ये किया है। मैं इसी तरह से अपनी टीम के लिए योगदान देने की कोशिश करता हूं।

भविष्य के बारे में क्या है सोच

मेरा सपना अपने देश के लिए खेलना है। आने वाले वक्त में क्या होगा ये मुझे नहीं पता लेकिन मुझे नीली जर्सी तक पहुंचने के लिए अपने आप को मिल रहे हर मौके को भुनाना होगा। मैं अपने प्रदर्शन से खुश जरूर हूं लेकिन संतुष्ट नहीं क्योंकि अभी केवल शुरुआत है और उतार-चढ़ाव खेल का हिस्सा है। उत्तराखण्ड क्रिकेट को मान्यता मिलने के बाद युवाओं के लिए मौके खुल गए हैं और मुझे पूरी उम्मीद है राज्य के युवा घरेलू क्रिकेट में ऐसे कई कीर्तिमान स्थापित करेंगे।

कोच रवि नेगी और मनोज रावत

करनवीर के कोच उनकी 202 रनों की पारी से खुश है। हल्द्वानी लाइव से फोन पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि उसके अंदर काफी काबिलियत है। उसने अपने आप को एक बार फिर साबित किया है। वो विजय हजारे में सबसे ज्यादा रन बनाना वाला बल्लेबाजों की लिस्ट में है। उसके गेम ने साबित किया है तेज खेलने वाले खिलाड़ी का गेम में मैच जिताऊ इंपैक्ट होता है। वहीं दोहरा शतक उसके करियर को नई दिशा देगा।

 विजय हजारे में करणवीर है शतकवीर

विजय हजारे 2018/2019 में करणवीर सात पारियों में सबसे ज्यादा तीन शतक जमाने वाले बल्लेबाज है। उन्होंने पोंडिचैरी 101, मिजोरम 118 और सिक्किम के खिलाफ 202 रनों की पारी खेली। उन्होंने 7 पारियों में 467 रन बनाए है और वो सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की सूची में तीसरे स्थान पर हैं। पहले पायदान पर मणिपुर के यसपाल सिहं (488) और दूसरे में मेघालय के पुनित बिष्ट (488 रन) हैं। करणवीर का स्ट्राइक रेट 122.2 का रहा है जो सबसे अधिक है। वहीं वो छक्के लगाने की सूची में वो दूसरे स्थान पर है। उन्होंने अभी तक 15 छक्के लगाए हैं। पहले नंबर पर मुंबई श्रेयस अय्यर है जो 20 छक्के लगाकर पहले स्थान पर काबिज हैं।

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