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चारधाम हाईवे परियोजना में लापरवाही से उत्तराखंड के जनजीवन को भारी खतरा

सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2019 में गठित पैनल के मुख्य ने चारधाम हाईवे परियोजना पर कई सवाल खड़े किए हैं। केंद्र सरकार की यहां महत्वकांक्षी परियोजना उत्तराखंड में चार धामों की यात्रा को सुगम बनाने के लिए शुरू हुई थी। चार धाम हाईवे परियोजना से उत्तराखंड में चारों धाम के लिए 889 किलोमीटर्स ऑल वेदर रोड का निर्माण हो रहा है। सोमवार को खबर आई थी कि परियोजना में काम कर रहे 3 मज़दूरों की भूस्खलन से मौत हो गयी।

chardham tunnel construction
चम्बा नगर के नीचे बनी सुरंग 

सुप्रीम कोर्ट की बनाई हाई पावर्ड कमेटी (HPC) के चेयरपर्सन रवि चोपड़ा ने कहा चार धाम परियोजना का निर्माण ऐसे हो रहा है जैसे कोई नियम कानून है ही नहीं। यह बात उन्होंने पर्यावरण मंत्रालय के सचिव को लिखे एक पत्र में कहा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना की वजह से हिमालयन जनजीवन को अनगिनत दूरगामी नुकसान उठाना पड़ सकता है। पत्र में उन्होंने अनुमति से अधिक पेड़ काटे जाने पहाड़ काटे जाने एवं नदियों में अत्यधिक मलवा गिराए जाने आदि का जिक्र किया है।

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कमेटी के चेयरमैन ने चारधाम हाईवे परियोजना में निम्न उल्लंघन का उल्लेख किया

  • उन्होंने बताया कि लगभग 250 किलोमीटर के दायरे में पेड़ों को अनावश्यक रूप से काटा गया। हैरानी की बात तो यह है कि राज्य सरकार और प्रोजेक्ट निर्माताओं को इस उल्लंघन की जानकारी थी।
  • दूसरा आरोप यह है कि लगभग 200 किलोमीटर रोड का निर्माण पुरानी अनुमति के अंतर्गत किया गया है। जबकि पर्यावरण को देखते हुए नई अनुमति लेनी होती है ताकि निर्माण से पहले यह जान लिया जाए कि इस निर्माण से पर्यावरण को कितना नुकसान होने वाला है। जिससे कि अनावश्यक निर्माण पर रोक लगाई जा सके। लेकिन निर्माताओं ने दोबारा अनुमति ना लेकर कानून का उल्लंघन किया है।
  • इसके अलावा इस पत्र में नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ को बेवकूफ बनाने वाली बात भी कही गई है। निर्माणकर्ताओं ने बहुत सारा निर्माण क्षेत्र इको सेंसेटिव जोन (ESZ) जहां निर्माण पर अंकुश होता है, उस जोन से से बाहर दिखाया है जो कि झूठ है।
  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित HPCका आदेश था कि काम तभी शुरू किया जाए जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश हो लेकिन बिना EIA द्वारा क्लीयरेंस के आदेश से पहले ही लगभग 50 किलोमीटर का काम शुरू हो चुका था।

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