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उत्तराखंड टीम के कोच वसीम जाफर के साथ हल्द्वानी लाइव की खास बातचीत

कोच बनने से पहले ही वसीम जाफर ने उत्तराखंड के खिलाड़ियों को दिया था गुरू मंत्र

“उत्तराखंड में टैलेंट की कमी नहीं है। मेरा काम भी होगा कि मैं टीम की कमियों पर काम करूं और हम मिलकर नतीजे उत्तराखंड की ओर लाने की कोशिश करेंगे।” – वसीम जाफर, हेड कोच, उत्तराखंड क्रिकेट टीम

ये भरोसा उत्तराखंड के क्रिकेट का भविष्य संवारने वाले उस शख्स का है जिसने हाल ही में उत्तराखंड क्रिकेट के हेड कोच की ज़िम्मेदारी संभाली है। अंतराराष्ट्रीय क्रिकेट से लेकर घरेलू क्रिकेट तक अपने बल्ले की खनक से वसीम जाफर ने अपना लोहा मनवाया है। घरेलू क्रिकेट में जाफर का जवाब नहीं, वो एक मील के पत्थर के रूप में जाने जाते हैं। और इसी अनुभव को वो उत्तराखंड के उभरते क्रिकेटर्स के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं। जाफर को भरोसा है कि घरेलू क्रिकेट में उत्तराखंड की टीम अपना नाम रौशन ज़रूर करेगी। उत्तराखंड टीम बतौर कोच ज्वाइन करने से पहले हल्द्वानी लाइव डॉट कॉम के चीफ एडिटर पंकज पांडे ने वसीम जाफर से फोन पर खास बातचीत की। ये बातचीत उत्तराखंड के क्रिकेटर्स और क्रिकेट दोनों के लिए भरोसा जगाने वाली है।

वसीम जाफर से खास बातचीत के मुख्य अंश

सवाल: आप उस टीम के कोच बने है जिसे अपनी पहचान घरेलू क्रिकेट में बनानी हैं? टीम के अलावा आपके लिए भी यह एक चुनौती है और इसे आप कैसे देखते हैं?

जवाब: क्रिकेट हर एक टीम के लिए चुनौती होता है। हर सीजन हर टीम के लिए चैलेंज होता है। मेरे लिए भी एक चैलेंज है, बतौर कोच उत्तराखंड टीम मेरा पहला असाइंमेंट है। दो साल से उत्तराखंड क्रिकेट खेल रहा है और पहले साल ( रणजी ट्रॉफी) तो उन्होंने शानदार खेल दिखाया। इसी के दम पर वह प्लेट ग्रुप से एलीट ग्रुप में पहुंचे थे। बिता साल टीम के लिए अच्छा नहीं रहा और इस साल हमारी कोशिश होगी कि साल 2018 सीजन में प्राप्त किए स्टैंडर्ड को वापस हासिल करें। मैं खिलाड़ी और टीम दोनों को इम्प्रूव करने पर जोर दूंगा। इस तरह से हम अपने स्तर को ऊंचा करेंगे। इम्प्रूवमेंट के साथ ही जीत हासिल होती है और यही जीत का सबसे बड़ा मंत्र है।

सवाल: आप इतने बार चैंपयिन टीम के सदस्य रहे हैं और अब प्लेट ग्रुप टीम के कोच की भूमिक। कितना टफ रहेगा आपके लिए क्योंकि आपकों जीत की आदत है और यहां नतीजे कई बार आपके पक्ष में नहीं जाएंगे ?

जवाब: ऐसे नहीं है कि मैं जिस टीम में रहा हूं वो हर बार जीती है। क्रिकेट में आप हर वक्त नहीं जीत सकती है। हार से हम सीखते हैं। ये तो प्रक्रिया चलती रहती है। मेरी कोशिश रहेगी कि टीम के जीत के प्रतिशत को बढ़ाने की होगी। सुधार और जीत, टीम को इस तरह का एटीट्यूड रखना होगा। इस दौरान हमें हार का सामना भी करना पड़ेगा और इसे स्वीकार कर आगे बढ़ना ही क्रिकेट है।

सवाल: साल 2019 में उत्तराखंड और विदर्भ आमने-सामने थी। नॉकआउट में आपने 206 रनों की पारी खेली थी। उत्तराखंड के प्रदर्शन ने सभी को चौकाया था ?

जवाब: एक बात तो साफ है कि उत्तराखंड में टैलेंट की कमी नहीं है। उत्तराखंड में क्रिकेट के लिए संसाधन काफी अच्छे हैं। एकेडमी और क्रिकेट का बेसिक ढांचा शानदार है। किसी भी टीम को एकजुट करने के लिए एक ढांचा होना काफी जरूरी होता है। इस तरह से ही आपकों अच्छे प्लेयर मिलते रहते हैं। इस टीम को केवल गाइडेंस की जरूरत है। नॉकआउट मैच में उत्तराखंड ने पहली पारी में 400 से ज्यादा रन बनाए थे और विदर्भ की टीम को भी चौकाया था। इसी तरह से टीम आगे बढ़ती है। बड़ी टीमों के साथ खेलकर यही सीखने को मिलता है कि हमारे अंदर कहा कमी है और फिर नतीजे अपनी ओर करने के लिए काम उसी दिशा में किया जाता है। मुझे पूरा भरोसा है कि उस मैच में जो भी खिलाड़ी खेंले होंगे उन्होंने काफी कुछ सीखा होगा। यह प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होती है… चलते रहती है। मेरा काम भी होगा कि मैं टीम की कमियों पर काम करूं और हम मिलकर नतीजे उत्तराखंड की ओर लाने की कोशिश करेंगे।

सवाल: आप इतने साल रणजी क्रिकेट खेले.कई टीमों को आपने अपनी आंखों के सामने बनता देखा होगा. क्या अपरोच होती है एक टीम की अपने आप को बदलने के लिए ?

जवाब: देखिए यहां पर एडमिनिस्ट्रेशन का रोल सबसे अहम रहता है। उनकी सोच सही दिशा में होनी चाहिए। ध्यान केवल क्रिकेट सुधारने की तरफ केंद्रित होना चाहिए। खिलाड़ियों को अच्छी सुविधा मिले जैसे अच्छे कोच और टीम स्टाफ। इस तरह से टीम को सपोर्ट मिलता है और टीम आगे बढ़ते रहती है। विदर्भ ने साल 2008-2009 से इसी प्रक्रिया को अपनाया और नतीजे के रूप में वह 2018-2019 में चैपिंयन बनें। एडमिनिस्ट्रेशन का विजन टीम को तैयार करता है। मैं चाहूंगा कि क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड भी इसी दिशा में काम करें और फिर देखिएगा कि नतीजे आपके पक्ष में आना शुरू हो जाएंगे।

सवाल: हर युवा खिलाड़ी भारतीय टीम का हिस्सा बनने का सपना देखता है। लेकिन कुछ को ही मौका मिलता है। इन सभी चीजों से ऊपर उठकर कैसे कोई घरेलू क्रिकेट या भारतीय क्रिकेट की सहायता कर सकता है? कई ऐसे खिलाड़ी है जिन्होंने अपने खेल से भारतीय घरेलू क्रिकेट को पहचान दी है ?

जवाब:हर खिलाड़ी अलग तरीके से सोचता है। मैं भारतीय टीम से ड्रोप होने के बाद भी 9-10 साल खेला। कई खिलाड़ियों को इससे फर्क नहीं पड़ता है कि आप कहा खेल रहे हैं। उन्हें बस क्रिकेट से प्यार होता है। दूसरी ओर कई खिलाड़ियों का मोटिवेशन खत्म हो जाता है, उन्हें लगता है कि टीम इंडिया के लिए चुने नहीं जाएंगे तो क्या खेलें… आप किसी को ये नहीं बोल सकते हैं कि ये सही है या ये गलत है। टीम इंडिया में चुने जाने का कॉल खिलाड़ियों के हाथ में नहीं है। जो चीजे आपके हाथ में नहीं है उस बारे में सोचकर क्या फायदा। इससे अच्छा है कि खिलाड़ी गेम पर फोक्स करें और खुद को इम्प्रूव करें।

पूर्व बल्लेबाज वसीम जाफर के करियर पर नजर

पूर्व बल्लेबाज वसीम जाफर भारतीय टीम के अहम सदस्य रहे हैं। भारत के लिए उन्होंने 31 टेस्ट मैच खेले और 5 शतक की मदद से 1944 रन बनाए। पांच शतकों में दो दोहरे शतक भी शामिल हैं। वहीं वह भारतीय टीम की कुछ एतिहासिक जीत का भी हिस्सा रहे हैं। राहुल द्रविड की कप्तानी में भारतीय टीम ने साल 2006 में वेस्टइंडीज में वेस्टइंडीज को 35 साल बाद टेस्ट सीरीज़ में मात दी थी। चार मैचों की सीरीज़ में टीम इंडिया ने 1-0 से जीत हासिल की थी। सीरीज़ के पहले मैच में वसीम जाफर ने शानदार 212 रनों की पारी खेली थी लेकिन मुकाबला ड्रॉ में समाप्त हुआ था। इसके बाद दिसंबर 2006 में भारतीय टीम ने साउथ अफ्रीका में पहली बार कोई टेस्ट मैच जीता।

साल 2007 में भारतीय टीम राहुल द्रविड की अगवाई में 21 साल बाद इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज़ जीती और जाफर टीम का हिस्सा रहे थे। साल 2007 में ही भारतीय टीम ने अपनी सरजमीन पर पाकिस्तान को 27 साल बाद टेस्ट सीरीज़ में मात दी थी। भारत ने तीन मैचों की टेस्ट 1-0 से अपने नाम की थी। सीरीज के दूसरे मैच में वसीम जाफर ने शानदार 202 रनों की पारी खेली थी। घरेलू क्रिकेट की बात करें तो 260 फर्स्ट क्लास मैच में उन्होंने 19410 रन बनाए। उनके बल्ले से 57 शतक निकले। उनका बेस्ट स्कोर 314 नॉट आउट रहा।

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