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बजट की मार झेल रहा भवाली स्थित सेनेटोरियम कब बनेगा मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल !

नैनीताल: नीरज जोशी: उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य सुविधाएं सालों से चिंता जनक रही है। राज्य को बनें 17 साल हो गए है लेकिन लोगों को पहाड़ी क्षेत्रों में उचित उपचार नहीं मिल रहा है। बात भवाली स्थित सेनेटोरियम की करें तो यह एक समय में एशिया का नंबर वन क्षय रोग आश्रम हुआ करता था। जहां देश के अलावा विदेशों से भी लोग इलाज के लिए आया करते थे। हॉस्पिटल का एरिया पेड़ों से घिरा हुआ है जो मरीजों के लिए फायदेमंद साबित होता है लेकिन प्रकृतिक सौंदर्य से केवल मरीज ठीक नहीं होते है हॉस्पिटल में आधुनिक सुविधाएं भी होनी चाहिए जो यहां मौजूद नहीं है। बता दे कि इस हॉस्पिटल में कमला नेहरू का भी इलाज हो चुका है।

कुछ ही समय पूर्व माननीय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने हॉस्पिटल को मल्टी स्पेशलिटी बनाने की बात कही गयी। परंतु हॉस्पिटल को मल्टी स्पेसलिटी से पहले विवाद शुरू हो गया जो अदलात में है। इसी कारण से अब तक क्षय रोग आश्रम को बजट नही मिल पाया है। मौजूदा समय में हॉस्पिटल में  देहरादून से दवाई आ रही है जो क्षय रोग डॉट्स नामक कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के जिला मुख्यालयों में बाटी जा रही है ।

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क्षय रोग आश्रम के प्रमुख अधीक्षक विनोद कुमार ढोंडियाल ने हल्द्वानी लाइव से बात करने पर बताया कि आश्रम को दवाई के अतिरिक्त अन्य मदों में बजट नही मिल रहा है। अब देखना होगा की सरकार कब तक बजट देती है। जिससे जल्द से अस्पताल को मल्टी स्पेसलिटी  का दर्जा दिया जाए औऱ मरीजो का पूर्ण रूप से इलाज हो सके। उन्होंने बताया कि हमारे पास जितने भी संसाधन है हम उन्हीं के सहारे मरीजों का इलाज करते है।

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वही क्षय रोग आश्रम के चीफ फार्मेसिस्ट नीलांबर तिवारी का कहना है कि अस्पताल में दवाई की कमी नहीं है। क्षय रोग की दवाई उत्तराखंड के प्रत्येक जिला मुख्यालय में डॉट्स कार्यक्रम के अंतर्गत उसी क्षेत्र में उपलब्ध कराई जाती हैं। हमेशा से दवा के लिए यहाँ पूर्ति रहती है। जिससे मरीजो को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। लेकिन अब देखना ये होगा कि मल्टी स्पेसलिस्ट अस्पताल बनने के बाद मरीजों को किस तरह की सुविधा उपलब्ध होती है।

 

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